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शारदीय नवरात्रि 2025: तिथि, पूजा-विधि, व्रत, नौ देवी और गरबा-डांडिया की रंगीन धुनें । हर साल नवरात्रि का इंतजार उतनी ही उत्सुकता से किया जाता है, जैसे पहली बरसात का। इस बार 2025 की शारदीय नवरात्रि का महापर्व 22 सितंबर से 1 अक्टूबर तक धूमधाम से मनाने की तैयारी चल रही है। नवरात्रि माँ शक्ति की उपासना, मन-आत्मा की शुद्धि और परिवार के सुख-शांति का पर्व है। इस पोस्ट में सभी जरूरी बातें एकदम व्यवहारिक और परंपरागत अंदाज में साझा कर रहा हूं।
 
कब है नवरात्रि और शुभ मुहूर्त - 22 सितंबर 2025, सोमवार से नवरात्रि आरम्भ होगी। उस दिन सुबह जल्दी उठकर घर को साफ-सुथरा करें, नया वस्त्र पहनें और पूरे दिल से घटस्थापना, यानी कलश स्थापना करें। पुरानी महिलाओं की सीख है — पूजा में मन-शुद्धि सबसे जरूरी है। घटस्थापना के बाद पूरे नौ दिन तक घर में पवित्र दीप और अगरबत्ती जलाते रहें। पूजा का समय प्रातः 06:27 से लेकर शुभ मुहूर्त तक रहेगा, लेकिन घर की माताएं अक्सर सूरज निकलते ही पूजा अर्चना शुरू कर देती हैं।
 
नवरात्रि का महत्व: परिवार और संस्कृति - नवरात्रि केवल देवी पूजा ही नहीं, बल्कि पीढ़ियों का संगम है। मेरी दादी कहा करती थीं कि इन नौ दिनों में घर में नकारात्मकता प्रवेश नहीं कर सकती। माता दुर्गा के अलग-अलग अवतार — शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री — हर एक दिन उनकी अलग महिमा है। सुबह के पूजा बाद, सयम और श्रद्धा से व्रत रखें। घर में व्रती महिलाएँ फल-फूल व हल्की चीजें खाती हैं, लेकिन सबसे जरूरी है कि मन सच्चा हो कोई द्वेष न रखें किसी के लिए !
 
पूजा विधि और व्रत के नियम- हर सुबह गाय के दूध से स्नान कर माता को ताजा फूल अर्पित करें। पूजा में अक्षत, दुर्वा, पांच फल और नारियल जरूरी हैं। प्रतिदिन माता के अलग रूप की पूजा, विशेष मंत्र पढ़ना चाहिए — दादी की बोली “मंत्र में ही शक्ति है।” रास्ते चलते ही मंत्र सुनना बहुत आम है, जिससे माहौल शुद्ध बना रहता है। व्रत का नियम — सात्विक भोजन, तली-भुनी चीज़ें त्यागें, नाखून, बाल आदि बिल्कुल न काटें। अष्टमी और नवमी पर कन्या पूजन अवश्य करें, आठ-नौ छोटी बालिकाओं को भोजन कराएँ और आशीर्वाद लें। गरबा-डांडिया के रंगीन आठ दिन नवरात्रि में गुजरात, मुंबई और देश के कई हिस्सों में सड़कों, मैदानों और कम्युनिटी हॉल्स में गरबा-डांडिया का उत्सव होता है। रंग-बिरंगे वस्त्र, हाथ में लकड़ी की डांडिया और माँ की जयकार के स्वर...इन धुनों में मां दुर्गा का शक्ति-संगीत सुनाई देता है। खुद मैंने भी स्कूल के दिनों में कई रातें गरबा नाचते बिताई हैं — सच मानिए, इनमें जितनी उमंग है उतनी ही भक्ति भी।
 
नवरात्रि_2025 के दिन सुबह-शाम घर लौटते समय माँ के गाने सुनना और परिवार संग मिलकर पूजा करना, यही तो असली खुशियाँ हैं। व्रत के दौरान शरीर और मन दोनों को शुद्ध रखना चाहिए। हर दिन मन में यही प्रार्थना हो — “माँ दुर्गा परिवार, समाज और देश को सुख, शांति और समृद्धि दें।


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